होली भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है! होली पूरे भारत में मनाते हैं! होली पर्व सिर्फ हिंदू कास्ट में ही मनाया जाता है! होली एक हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार मानते हैं ! होली एक रंग गुलाल का त्यौहार है!
होली का त्योहार कैसे मनाते हैं?
होली में सब हिंदुओं एक साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं! होली में अनेक प्रकार के पकवान खाने को बनाते हैं! होली में एक दूसरे को हिंदू सब रंग गुलाल उड़ाते हैं! और सभी भाई चारों एक साथ खुशियां मनाते है! और सभी लोग होली त्यौहार बहुत ही प्यार से मनाते हैं! होली में बच्चे सब बहुत ही प्रसन्न हो जाते हैं! होली में सभी हिंदुओं अपने पोशाक नई -नई खरीद कर पहनते हैं! इस सिम में स्त्री बच्चे पुरुष बूढ़े सभी एक साथ होली का आनंद प्राप्त करते हैं! कुछ लोग अनेक प्रकार के बैंड बाजा ढोल मजीरा लगाकर तरह-तरह के गाना जोगिया गाया करते हैं! और सभी भाई चारों मिलकर एक दूसरे को रंग लगाते और गले मिलते हैं! और एक साथ खुशियां मनाते हैं!
होली कब मनाते हैं?
होली फाल्गुन के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है! होली फाल्गुन मास दिवस शुल्क पक्ष 15वीं को होलिका दहन हुई थी! और उसके सुबह होकर के रंग गुलाल के साथ धूल गर्दा उड़ाते के साथ होली का गीत गाकर प्रतिवर्ष होली मनाई जाती है! जिसकी तारीख कृष्ण पक्ष प्रथम दिवस को मनाया जाता है! होली से शरद ऋतु खत्म होती है! और वसंत ऋतु शुरू होती है! होली दो दिन रहते हैं! पहला दिन होलिका दहन होती है! और दूसरे दिन लोग सभी सुबह ही होली मनाते है!
क्यों मनाई जाती है होली?
होली मनाए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के मुताबिक, प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप ने तपस्या करके ब्रह्मा से वरदान पा लिया कि संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य उसे न मार सके, न ही वह रात में मरे, न दिन में, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न घर में, न बाहर. यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे न मार पाए । ऐसा वरदान पाकर वह अत्यंत निरंकुश बन बैठा । हिरण्यकश्यप के एक बेटा हुआ, जिसका नाम उसने प्रह्लाद रखा। प्रह्लाद अपने पिता के विपरीत परमात्मा में अटूट विश्वास करने वाला था। प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि थी।
होली इसलिए मनाई जाती है! कि क्योंकि राजा हिरण कश्यप के बेटे प्रह्लाद विष्णु की पूजा करते थे! इसलिए उनके पिता उसे मार देना चाहते थे! प्रह्लाद की बुआ होलिका उसे मारने के लिए उसे अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई और भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद को बचा लिया और प्रह्लाद के बुआ होलिका जलकर मारी गई होलिका को एक चादर का वरदान प्राप्त था! कि वह चादर ओढ़ने के बाद आग में जलकर नहीं मरेगी इसलिए होलिका का भाई हिरण कश्यप ने उसेेे आदेश दिया दिया था! वह प्रह्लाद को आग में जलाकर मार दिया जाए !