पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि छठ का व्रत के प्रताप से ही पांडवों को उनका खोया हुआ राजपाट फिर से प्राप्त हुआ।जब पांडव अपना राजपाट जुए मे हार गए।तब द्रोपदी ने छठ व्रत रखा,उनकी मनोकामनाएं पूरी हूई और पांडवों को उनका राजपाट वापस मिल गया।लोग परम्परा के अनुसार, सूर्य देव और छठी मैया का रिश्ता भाई-बहन का है।यह हिंदू धर्म के पवित्र कार्तिक मास के छठवें दिन मनाया जाता है,इसलिए इसे छठ के रूप में जाना जाता है। जिसका अर्थ है छ:। जिसमें 3 दिन तक खाना नहीं खाते हैं, फिर भी उनके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रहती है। वास्तव में यह विश्वास का त्यौहार है जो उन्हें कई दिनों तक उपवास रखने में मदद करता है।
छठ पर्व क्यों मनाया जाता है?
छठ पूजा का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। छठ व्रत सूर्य देव, प्रकृति, जल और वायु को समर्पित है।
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।छठ पर्व के शुरुआत महाभारत काल में हुई थी।सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे, वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे। यह पर्व 4 दिन की अवधि में मनाए जाते हैं , पहले दिन नहाय खाय दुसरा दिन खरना तिसरा दिन सांझ का अर्घ्य चौथा दिन भोर का अर्घ्य।यह बिहार का प्रसिद्ध और सबसे कठिन पर्व है।
छठ पर्व कैसे मनाया जाता है?
छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है।छठी मैया को का ध्यान करते हुए लोग मां गंगा यमुना या किसी नदी के किनारे इस पूजा को मनाते हैं।इस में सूर्य की पूजा अनिवार्य है, साथ ही किसी नदी में स्नान करना भी।छठ एक ऐसा पर्व है । जिन्हें एकमात्र ऐसा भगवान माना जाता है, जो दिखते हैं।